शुक्रवार, 13 नवंबर 2009

हिन्दू आतंकवादी हो ही नहीं सकता

हिन्दू आतंकवादी हो ही नहीं सकता


फ्रंक्वा गोशे(फ्रांस के जाने माने पत्र कार है एवं अंतर्राष्टीय पत्रकारिता में जाना माना नाम है)

संपादक, दैनिक ला रिव्यू डी लन्दे, पेरिस.

क्या हिन्दू आतंकवाद जैसी कोई चीज है जैसे कि मालेगाव बम धमाको में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर कि गिरफ्तारी से सिद्ध करने कि कोशिश कि गई है. में समझता हूँ कि मुझसे इस बारे में भी प्रश्न पुछा जा सकता है तथा लिखने के लिए कहा जा सकता है, क्यों कि में विदेशी संवाददाताओं की उस गिनी चुनी श्रेणी में से एक हूँ जो हिन्दू धर्म को बहुत प्यार करते हैं. में फ्रांस में जन्मा तथा कैथोलिक धार्मिक शिक्षा प्राप्त गैर हिन्दू हूँ.

मुझे आशा करनी चाहिए कि मेरे द्वारा व्यक्त किये गए विचारों कि ओर ध्यान दिया जाना चाहिए. मेरे ये विचार संस्कार मेरे माता पिता से नहीं मिले. असल में मेरे ये विचार दक्षिण एशिया में २५ वर्षों तक संवाददाता के रूप में कार्य करने के कारण बने हैं. में ली जर्नल, दी जेनेवे तथा ली फिगेरो के लिए काम करता हूँ.

१९८० के शुरू में दक्षिण भारत से फ्रीलांसिंग का कार्य शुरू किया था. इस अवसर पर कलारियापट्टू, अयप्पा त्यौहारों के फोटो फीचर आदि तैयार करता था. मैंने धीरे -धीरे अनुभव करना शुरू किया कि इस देश कि अस्मिता व अस्तित्वा हिन्दू धर्म पर ही टिका है. यह देश हिंदुत्व के अध्यात्मवाद पर ही आधारित है. आप भारत के लाखों गावों में जाएँ तथा वहां एक औसत भारतीय से मिलें तो आप यह पाएंगे कि वे सीधे सरल व धार्मिक विचारों के होते हैं. वे भारत के बहुलवाद व उदारवाद पर भरोसा करते हैं. चाहे आप ईसाई हों, मुस्लिम हो या अन्य कोई हों, यहाँ सबके प्रति उदारता है.आप फ्रेंच हैं या चीनी, यहाँ किसी के प्रति दूरत्व का भावः देखने में नहीं आता.

हिन्दू धर्म कि इसी उदारता का परिणाम है कि भारतीय ईसाई किसी फ्रेंच क्रिश्चयन से अलग दिखता है. भारतीय मुस्लिम भी सउदी मुस्लिमो से अलग हैं.
भारत में रह कर मुझे यह ज्ञान हुआ कि हिन्दु यह विश्वास करते हैं कि ईश्वर विभिन्न रूपों में हर ओर विद्यमान है. ईश्वर के विभिन्न नाम हैं तथा उनकी स्तुति के लिए विभिन्न भाषाओं में ग्रन्थ लिखे गए हैं. भारतमें ईश्वर के विभिन्न अवतारों कि कल्पना अपने आप में अनूठी है.

पिछले ३५०० वर्षों में भारत ने अन्य किसी देश पर आक्रमण नहीं किया है ओर ना ही हिन्दुओ ने किसी का धर्मान्तरण किया है. आप दुनिया में किसी भी हिन्दू को कट्टरपंथी नहीं पायेंगे. वह अपने धर्म का निष्ठा से पालन करता है. लेकिन दुसरे धर्मों के प्रति दुराव भी नहीं रखता. मुझे यह देख कर दुःख होता है जब भारतीय ओर पश्चिमी देशों के पत्रकार सिमी जैसे इस्लामी आतंकवादी ग्रुपों कि नाराज हिन्दुओं से तुलना करने लगते हैं. यह सही है कि कुछ लोगो ने चर्चो को जलाया है लेकिन किसी कि हत्या नहीं की. हम जानते हैं की इस प्रकार की जो भी घटनाएँ हैं वे भारतीय आदिवासी समुदायों में धर्मंतार्ण की वजह से हुआ है.

आप बाबरी मस्जिद को गिराने के मामले को लें, इसे दहने के प्रकरण में एक भी मुसलमान पर हमला नहीं हुआ. लेकिन इसके बाद के मुंबई बम विस्फोटो में हजारो लोग हताहत हुए. उनमें अधिसंख्य हिन्दू थे. में कभी रिपोर्टिंग में किसी राजनीती से प्रेरित नहीं रहा हूँ. मैंने जो कुछ देखा उसे ही लिखा है. भारत में एक अरब हिन्दू रहता है, यानी दुनिया का हर छठा आदमी हिन्दू है तथा सर्वाधिक उदार है. क्या इसे आतंकवादी कहा जा सकता है?